Blog Banner Neeraj Brahmankar
FLOW
“Inhale Hope, Exhale Inevitability”

कमी

मैंने अक्सर अस्पताल में अमीरों को चक्कर काटते देखा है। ऐसी बात नहीं है कि, ग़रीबी और बीमारी इनका कोई मेल होना स्वाभाविक नहीं। गंभीर बीमारियों से लड़ते रहने के लिए जेब खाली होना जरूरी तो नहीं, पर अपरिहार्य तो…

Read Moreकमी

नौकरानी

गुलाबी आँखे जो तेरी देखी,शराबी ये दिल हो गया..मह्हम्ह…ल्ल ल्ल ल ला…ला ला लालालल..लल ल्ललला.. “ख्खख्ख..देखो उसके नज़रों से ओझल होते ही खराश आ गई गले में। जब तक वो सामने होती है, सूर कैसे सटिक लगते है ना !”…

Read Moreनौकरानी

जीवन

गम के रेगिस्तान मेंखुशनुमां हरियाली लाना हैहर इक खेत को यहांखुशियों कि सिचाईं पाना है ।रंगमंच कि कठपुतलियों कोअहंकार का भाव न होवाणी का हो योग्य प्रयोजनअंतःकरण में घाव न हो ।अद्भुत अद्मम्य अचल साहस कीलिखता तू जा परिभाषा..मन है…

Read Moreजीवन

बैठा हूँ,

अस्तित्व बचाए बैठा हूँ,बिसात छिपाए बैठा हूँ।टूटा हुआ एक सितारा हूँ मैं,तारों के आंधी में,वजूद का चराग़ जलाएं बैठा हूँ । सौप देना हैं खुदको ,किसी के दस्ते-तलब में।वक्त की धाराओं मेंबहते बहते कहीं;वस्ल-मिलन ना हो जाएं,इसलिए भूत और वर्तमान…

Read Moreबैठा हूँ,