Hindi

डाकघर

ज़िंदगी आजकल डाकघर सी हो गई है।दूसरों के ज़ज़्बात,ख़त की तरह,पड़े रहते हैं, यहाँ।कुछ देर।उन सबका एक पता है।ये तो,मेरे मन को भी पता है।कुछ डाकबाबू आते हैं,ज़िंदगी में।उनका तो काम ही है।दिए गए पते पर चिठ्ठियाँ पहुँचाना।कभी कभी लगता…

-बिरयानी-

वक्त़ भी खूब अच्छी बिरयानी बना लेता है।किसी को मसालों की तरह,तो किसी को चावल की तरह,इस्तेमाल कर, मौत को परोस देता है।मैं भी शायद पानी की कुछ बूंदो में से एक हूँ।छिड़क दिया जाऊंगा,गर्म तवे पर,एक आह निकलेगी,आवाज़ आएगी,लगेगा…

आज़ादी

कभी तुमने अपनी साँसों को आज़ाद छोड़ा है?समंदर से किनारें की तरफ़ आते हुए,सरसराते पत्तों को आवाज़ मुहैय्या कराने वाली,बादलों की टोली को,इधर उधर करती करती नादान हवाओं में,क्या देखा है तुमने आज़ादी को करीब से?कैसे खुश होती है वो…

कमी

मैंने अक्सर अस्पताल में अमीरों को चक्कर काटते देखा है। ऐसी बात नहीं है कि, ग़रीबी और बीमारी इनका कोई मेल होना स्वाभाविक नहीं। गंभीर बीमारियों से लड़ते रहने के लिए जेब खाली होना जरूरी तो नहीं, पर अपरिहार्य तो…

नौकरानी

गुलाबी आँखे जो तेरी देखी,शराबी ये दिल हो गया..मह्हम्ह…ल्ल ल्ल ल ला…ला ला लालालल..लल ल्ललला.. “ख्खख्ख..देखो उसके नज़रों से ओझल होते ही खराश आ गई गले में। जब तक वो सामने होती है, सूर कैसे सटिक लगते है ना !”…