नौकरानी

गुलाबी आँखे जो तेरी देखी,
शराबी ये दिल हो गया..
मह्हम्ह…
ल्ल ल्ल ल ला…
ला ला लालालल..
लल ल्ललला..

“ख्खख्ख..
देखो उसके नज़रों से ओझल होते ही खराश आ गई गले में। जब तक वो सामने होती है, सूर कैसे सटिक लगते है ना !”

“जाने दो यार, तुम भी कहा इस प्यार व्यार के चक्कर में पड़ रहे हो। अच्छा खासा बिज़नस है पापा का, पढ़ाई में तो दिलचस्पी नहीं है, डिग्री उठाईयों और चूप चाप गल्ले पर बैठ जाओ। इश्क़ के बाज़ार में रजामंदी ही असली सिक्का है। जबरदस्ती वाले नोट यहाँ चला नहीं करते।”

“हटो बे। यार, सचिन, पता नहीं क्यूँ दिल में बैठ गई है वो। और काॅलेज का इतिहास गवां है, मैंने जिस लड़की पर हाथ रख दिया, वो मेरी है। तू पता कर उसके बारे में, देखते हैं आगे।”

“तुझे फिर समझा रहा हूँ। पैसे से हर चीज़ नहीं खरीदी जा सकती। भावनाओं का कोई मोल नहीं होता।”

“तेरे बस में नहीं होगा तो अभी कह दियो। रवि जो भी करेगा, डंके की चोंट पर करेगा। कल, फ्रेशर्स पार्टी है। मैं ही बात करूँगा उससे।”


” इक्सक्यूज़ मी, क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ? “

“साॅरी, डू आय नो यू ?”

“जी नहीं। जानती नहीं तभी तो नाम-वाम पता करने के बाद बाते-शाते होगी, मुलाकातें होगी और फिर तुम मुझे जानने लगोगी जानेमन।”

“ये क्या बद्तमीजी है। मुझे पता है आप मेरे सीनियर है। बड़े बाप की औलाद है पर इसका मतलब ये नहीं की आप की जुबां कैंची की तरह चले। मुझे दोस्ती-वोस्ती में कोई दिलचस्पी नहीं। मैं बहुत गरीब घर से हूँ। यहाँ पढ़ने आई हूँ। आईंदा रास्ता ना रोकिएगा। पता नहीं जेब में पैसा है कि पैसों में जेब है; गुरूर निगल जाएगा एक दिन ध्यान रखिएगा।


आहहहहह…..माँ…..
कोई बचाओ…

“अरे, शायद किसी ने एसिड़ फेंक दिया है लड़की पर। चेहरा बूरी तरह झुलस चूका है। बहुत बुरा हुआ। एसिड़ फेंकने वाला तो सिंघानिया साहब का लड़का है ना, वही, रवि।”


“डाॅक्टर साहब, मैं ठीक तो हूँ ना !

“हाँ आप बिलकूल ठीक हो। पर मुझे अफ़सोस है कि चेहरा झुलसने की वज़ह से हमें सर्जरी करनी पड़ी। अब आपका चेहरा पहले जैसे नहीं रहा।”

__कुछ सालों बाद__

” माँ तुम्हारा चेहरा ऐसा क्यूँ है?”

” बचपन से है बेटा; देखो फिर भी आपका पापा ने बाहरी सुंदरता पर ध्यान ना देते हुए मुझे अपना लिया। अब तो वो भी नहीं रहे। एक ही थे वो जिनकी नज़रों में मैं खूबसूरत थी…
खैर जाने दो…”

“माँ मेरे दोस्त कहते हैं आप बदसूरत हो, लेकिन मेरे लिए नहीं। मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।”

“वो मुस्कुराई।”

बच्चे ने जवानी की दहलीज़ पर कदम रखा। आज उसका जन्मदिन है। उसके कुछ रईसज़ादे दोस्त घर आए हुए हैं।

माँ बाहर आँगन में पौधों को पानी दे रही है।

दोस्तों ने पूछा-” यार, ये अजीब सी औरत कौन है?”

स्टेटस के भवंडर में फंसा हुआ वो,
माँ की ममता पर शब्दों से प्रहार कर बैठा।

“नौकरानी” -उसने कहा।

-नीरज

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